Beschreibung
करण जौहर की फिल्म कभी खुशी कभी गम जब आई थी तब फिल्म देखकर आने वालों ने ये सलाह दी थी कि फिल्म देखने जा रहे हो तो अपने साथ ढेर सारे ट्यिशू ले जाना मत भूलना. अब उनकी नई फिल्म से भी दर्शक यही उम्मीद लगाए बैठे थे. पर थैक्स टू करण उन्होंने इस बार दर्शकों को रुलाया नहीं. हां नया फार्मूला पेश करने के चक्कर में वह खुद इतना कंफ्यूज हो गए कि दर्शक बेचारे अंत तक ये समझ नहीं पाए कि वास्तव में वे फिल्म के जरिए क्या संदेश देना चाहते हैं.
फिल्म की कहानी न तो प्यार जैसी भावना की सही व्याख्या करती प्रतीत हुई और न ही इसमें अनजाने हालातों में बने संबंधों को सही से दर्शाया गया. कहानी दो ऐसे युवा जोड़ों की है जो अपनी शादी में खुश नहीं हैं या यू कहें कि खुश रहना नहीं चाहतें. ऐसा इसलिए क्योंकि फिल्म देखकर अंत तक ये समझ नहीं आया कि सब कुछ होते हुए भी आप अपने साथी व परिवार से खुश क्यों नहीं हैं? खासकर तब जब आपने अपनी मर्जी से पार्टनर चुने हैं. फिल्म की शुरुआत रानी मुखर्जी और अभिषेक से शादी से होती है. अभिषेक रानी से प्यार करता है और रानी उसके प्यार को स्वीकार करने में 3 साल का समय लगाती है और उससे शादी करने के लिए हां करती है. शा